Lakshmi Yantra Se Dhan Prapti
Lakshmi Yantra मैंने पिछले लेख में यंत्र साधना के संबंध में विस्तार से बताया था कि यंत्र और यह यंत्र-साधना मनुष्य के लिए कितनी उपयोगी सिद्ध होती है।
आज के लेख में ,मै आपको महालक्ष्मी यंत्र और महालक्ष्मी मंत्र साधना से संबंधित एक उपाय बताऊंगा जिससे उपयोग करके एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन में उन्नत्ति प्राप्त कर सकता है और सभी प्रकार से आर्थिक समस्या से मुक्त हो सकता है।
सर्वप्रथम आज के लेख में श्री यंत्र का वर्णन करने जा रहा हूं जो साक्षात महालक्ष्मी का स्वरूप माना गया है।
इस यंत्र को सिद्ध करने वाले साधक को महालक्ष्मी यंत्र सिद्ध होते ही मनुष्य के जीवन में धन्य योग बनने लगते हैं और उस साधक को महालक्ष्मी यंत्र की साधना करने पर उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उससे प्रभावित होते हैं क्योंकि यह पवित्र महालक्ष्मी यंत्र सभी को सम्मोहित करके प्रभावित करने में समर्थ और सक्षम यंत्र माना गया है।
महालक्ष्मी यंत्र का प्रभाव अद्भुत माना गया है क्योंकि महालक्ष्मी यंत्र के अंतर्गत सम्मोहन शक्ति समाहित होती हैं और जिसके पास यह यंत्र साधना सिद्ध हो जाती है उसके लिए सभी सुखों के दरवाजे खुल जाते हैं और आर्थिक समस्या समाप्त हो जाती है।
श्री यंत्र सिद्ध करने की विधि: Lakshmi Yantra Siddh Karne ki Viddhi
आजकल बाजार में सुनार के यहां पर, तांबे का बनाया श्री यंत्र, आराम से मिल जाता है। अगर वो भी संभव ना हो तो आप ऑनलाइन वेबसाइट से मंगा सकते हैं।
दिवाली की अर्धरात्रि, घर में या मंदिर में किसी ब्राह्मण या पंडित से इस यंत्र को वैदिक विधि से इस यंत्र की स्थापना करा लें ।
इस महा लक्ष्मी यंत्र का पूजन प्रारंभ करने से पहले ब्राह्मण के बताए अनुसार महालक्ष्मी पूजन की सामग्री एकत्रित कर लें और उसके बाद आसन पर बैठकर गाय के घी से अच्छी तरह से यंत्र का अभिषेक कर लें ।
उसको दूध और जल से स्नान कराकर उसे शुद्ध वस्त्र से ( श्री यन्त्र ) को पोछकर श्री यंत्र को स्थापित कर कुमकुम या रोली से तिलक करने के बाद कमल पुष्प समर्पित करें। इसके बाद इस श्री यंत्र को विधि पूर्वक ब्राह्मण के बताए अनुसार पूजन करें।
यदि आपको पंडित या ब्राह्मण दीपावली के पर्व पर ना मिल रहा हो तो आप महालक्ष्मी यंत्र का पूजन स्वयं अपने हाथ से संपन्न कर सकते हैं। इसके लिए आपको सरल विधि बताता हूं जिसमें आप पंचोपचार से महालक्ष्मी यंत्र का पूजन कर सकते हैं।
पंचोपचार पूजन में 5 सामग्री की आवश्यकता होती है – गंध ( कुमकुम या रोली), अक्षत (चावल), धूप अगरबत्ती, दीपक ( गाय के घी का दीपक हो- यदि गाय के घी का दीपक ना मिले तो सरसों का तेल का दिया अभी जला सकते हो), कमल का फूल ( कमल के फूल के अभाव में जो भी जो पीले रंग का पुष्प हो उसका उपयोग कर सकते हैं) , नैवेद्य ( उपलब्ध ना हो तो ऋतु के अनुसार फल ले सकते हैं) ।
उपचार के पूजन के समय: निम्नलिखित मंत्र का जाप करते रहे।
Lakshmi Yantra Sadhana Mantra
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नम:॥
Mahalakshmi Mantra
पूजन समाप्ति के बाद पंडित को भोजन कराएं फिर स्वयं अपने परिवार के साथ भोजन करें। यदि आपको उचित लगे तो. ब्राह्मण भोजन कर रहे हो तब आप परिवार के साथ भोजन ना करके – ( यजमान / साधक ) आप पूजन के जगह या पूजन स्थल पर मूल मंत्र जाप करने बैठ जाए और यह मंत्र जाप तब तक करते जब तक आपको बैठकर जाप करने का मन हो ।
Lakshmi Yantra Mantra
मूल मंत्र – “श्रीं”
महालक्ष्मी मंत्र का जाप कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें इसके बाद परिवार सहित आरती करके – भोजन करें। फिर पंडित को दान-दक्षिणा अपने सामर्थ्य के अनुसार दें और उन्हें विदा करें।
अब उस दीपावली की रात्रि से 1100 मंत्र जप करते हुए रोज मंत्र जप करते रहे जब तक आपका १२,००,००० ( १२ लाख ) मंत्र जब पूर्ण ना हो जाए, तब तक यह मंत्र साधना करते रहें।
जब १२ लाख मंत्र पूर्ण हो जाये तब उसका दशांस हवन ( मंत्र जप का १० वे हिस्से का हवन – गाय के घी से करना चाहिए ) ऐसा करने से मंत्र और यन्त्र साधना सिद्ध हो जाता है ।
यह साधना लम्बी और श्रम साध्य जरूर है पर पूर्ण संयम, धैर्य और निष्ठा से अनुष्ठान करेंगे तो अवश्य ही आपके जीवन में अध्भुत भाग्योदय होगा – और जीवन में किसी भी भौतिक सुखों का अभाव नहीं रहेगा ।
आपको मेरा आज का यह महालक्ष्मी मंत्र साधना पर लेख कैसा लगा – अपना मंतव्य दीजिये ।
आपका हितैषी ,