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5 Benefits of Durga Mata Saptasloki Strotram : दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रम विधि

Durga Mata Saptashloki Stotram :

इस बार चैत्र नवरात्रि २०२२  के विशेष पर्व पर मैं आपको एक विशेष भेंट देना चाहता हूँ – जिसे नवरात्रि  के शुभ पर्व कर स्वीकार करें।  शक्ति साधना या उपासना – शक्ति उपासकों के लिए नवरात्रि को अत्यंत ही विशेष पर्व माना  जाता है जिसे शायद ही कोई उपासक छोड़ दे ।

आज हम दुर्गा सप्तश्लोकी Durga Mata Saptasloki के बारे में विस्तार में जानेंगे – कैसे केवल मात्रा दुर्गा माता के इस पवित्र श्लोक से आप जीवन में बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। 

पर इससे पहले कि हम आपको दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रम के जीवन में महत्व के बारे में बताएं, आपको दुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्रम के बारे में सब कुछ जानना चाहिए। 

यदि आप दुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्रम के बारे में जानने के लिए वास्तव में बहुत उत्साहित हैं तो हम आपको बताना चाहते हैं कि दुर्गा सप्तशलोकी स्तोत्रम के सभी शब्द संस्कृत भाषा में हैं। 

Durga Mata Saptashloki Stotram and its Importance

देवी माता स्वयं भगवान शिव को इस मंत्र का महत्व बताती हैं  जो दुर्गा सप्तशती का एक विशेष भाग भी है ।

दुर्गा सप्तशलोकी स्तोत्रम, दुर्गा सप्तशती के लिए एक विनिमय प्रार्थना है जिसे नवरात्रि के दौरान महत्वपूर्ण पाठ के रूप में सम्मानित किया जाता है ।

एक समय की बात है , जब एक दिन भगवान शिव ने देवी दुर्गा से उन्हें अपने भक्तों के अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के रहस्य के बारे में बताने के लिए कहा, जिसे कोई भी साधक या साधिका बिना किसी बड़े मंत्र अनुष्ठान या हवं द्वारा अपन जीवन की मनोकामना को सिद्ध कर सके ।यह वही समय था जब देवी दुर्गा ने उन्हें दुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्र का रहस्य दिया था।

देवी दुर्गा के अनुसार इस दुनिया के सभी लोग चाहते थे कि उनके जीवन में शांति हो, जो उनके जीवन में दुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्र का पाठ करके प्राप्त किया जा सकता है। 

व्यक्ति को अपनी पूरी आस्था, निष्ठा और ध्यान के साथ दिन में कम से कम सात बार दुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। 

इस छोटी सी पर महत्वपूर्ण साधना  से देवी दुर्गा के सभी उपासकों को  आशीर्वाद प्राप्त होंगे, जो कि उनके जीवन के हर कदम में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

Durga Mata Saptashloki Stotram Benefits

दुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्रम का उपयोग करने से, साधक को बहुत सारा धन, यश , कीर्ति और अच्छा स्वास्थ्य,  उत्कृष्ट स्मृति शक्ति , उनके जीवन में सफलता से भरपूर, सभी  क्षेत्रों  में जीत मिलेगी। 

उनके जीवन में आने वाली बाधाओं, अच्छे पारिवारिक जीवन और बिना किसी परेशानी  के जीवन में छोटी-मोटी  समस्याओं का सामना करने की शक्ति मिलती है। 

दुर्गा सप्त श्लोकी स्तोत्रम का जाप करने से न केवल उनके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी बल्कि उनके जीवन से सभी भय, दुख और कमी भी दूर हो जाएंगे । 

दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रम विधि – Durga Mata Saptashloki Stotram Vidhi

यदि आप दुर्गा सप्तशलो की स्तोत्रम उपयोग का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप दुर्गा सप्त श्लोकी को अपने घर पर भी देवी दुर्गा के चित्र के सामने पढ़ सकते हैं। यथा –

१) स्नान कर – शुद्ध वस्त्र धारण करें।

२) सामने बाजोट / पीढ़े  पर लाल या पीला वस्त्र बिछा दें और माता की  मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

३) सरसों के तेल का दिया जलायें।

४) पंचोपचार पूजा करें।(कुमकुम, चावल, धुप, दीप और नैवेद्य (प्रसाद)  अर्पित करें।) 

४) अब अपने हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु – अमुख जाप में ९ दिन तक ( नवरात्रि में ) करूँगा ऐसे संकल्प लें  । जैसे – मैं नीरव हिंगु – अपनी अमुख मनोकामना पार्टी के लिए – आज से ९ दिन तक – माता दुर्गा का दुर्गा सप्तश्लोकी का नियमित ११ बार पाठ करूँगा , हे ! जगदम्बा ! आशीर्वाद दें , मेरी मनोकामना पूर्ण हो और आपका प्रेम और कृपा प्राप्त हो।

५) अब गणेश मंत्र की १ माला – यथा – ॐ गं गणपतये नमः॥

६) गुरु मंत्र की १ माला – यथा – “ॐ नमः शिवाय”॥

७) अब दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रम के ११ पाठ करें।

Durga Mata Saptashloki अथ सप्त श्लोकी दुर्गा 

शिव उवाच – Lord Shiva Bole

देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी।

कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्रतः॥

देव्युवाच Durga Mata Boli

श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्‌।

मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥

विनियोगः Durga Mata Saptasloki Viniyoga

ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः अनुष्टप्‌ छन्दः, श्रीमह्मकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः।

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा।

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। 

स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या। 

सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥

सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते॥

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते॥

रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति॥

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि।

एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम्‌॥

॥इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम्‌॥

माँ दुर्गा से इस लेख द्वारा प्रार्थना है – आप सभी को अपने जीवन में सुख शांति प्राप्त हो।

दुर्गा दर्शन अभिलाषी ,

नीरव हींगु 

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